अध्यात्मवाद (Adhyatmvad)

ईश्वर और भगवान

ऐसे ही दो अनमोल शब्द है — ईश्वर और भगवान। शब्द-कोष में देखने जायेंगे , तो एक ही अर्थ मिलेगा

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मृत्यु सत्य है।

आज का प्रभु संकीर्तन।संसार असत्य है,मृत्यु ही सत्य है।फिर भी मनुष्य इसे झुठलाकर वह सोचता है कि मैं कई जन्मों

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“मैं को छोड़ दो”

एक राजा था उसने परमात्मा को खोजना चाहा। वह किसी आश्रम में गया। उस आश्रम के प्रधान साधु महाराज ने

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श्रीमद् आद्य शंकराचार्य विरचितम्- धन्याष्टकम्

।श्री हरि:। तत्ज्ञानं प्रशमकरं यदिन्द्रियाणां, तत्ज्ञेयं यदुपनिषत्सुनिश्चितार्थम्।ते धन्या भुवि परमार्थनिश्चितेहाः, शेषास्तु भ्रमनिलये परिभ्रमंतः ॥१॥ वह ज्ञान है जो इन्द्रियों की

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तत्त्वज्ञान

आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी- इन पाँच महाभूतों को ही पंचतत्त्व कहते हैं, इन्हीं पंचतत्वों के गुण रूप इस

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