समर्पण भाव की जागृति 3
हे परम पिता परमात्मा मै अभी तुम्हें जानता नहीं हू। कैसे भगवान से मिलन होता है भगवान का असली रूप
हे परम पिता परमात्मा मै अभी तुम्हें जानता नहीं हू। कैसे भगवान से मिलन होता है भगवान का असली रूप
आज प्रभु प्राण नाथ हृदय में आये हैं। हे मेरे स्वामी जैसे तुम इस दिल में समाए हो वैसे ही
भगवान की कथा भागवत गीता और रामायण सुनना बहुत अच्छी है। कुछ बहनो के पास कथा सुनने का समय होता
हम प्रतिदिन मन्दिर जाते और कहते हम मन्दिर में भगवान के दर्शन करने जाते हैं। हम भगवान की आरती करते
मेरा परम पिता परमात्मा मेंरा जगत जगदीश प्रकाश का पूंज है।जिसमें सम्पूर्ण जगत समाया हुआ है।परम पिता परमात्मा कोई शरीर
भक्त के दिल में प्रेम भाव में वात्सल्य भाव है। भक्त भगवान को ऐसे समेट लेना चाहता है कि जैसे
हम धन कमाने और संपत्ति एकत्रित करने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि जीवन के अन्य पहलुओं की उपेक्षा
प्रभु प्राण नाथ को हम महसुस कर सकते हैं। आनन्दित होते हैं भगवान के भाव में खो जाते हैं।
त्याग मार्ग पर चलने के लिए अपने अन्दर हर समय झांकना होता है।अन्तर्मन में झांकने का अर्थ है अपने विचार
अपने लिए जिन्दगी जीना है।अपनो के कार्य में सहायक अवश्य बनो।लेकिन उनके साथ सम्बन्ध एक सीमा तक रखो मोह के