[36]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम प्रेम-स्त्रोत उमड़ पड़ा श्रृण्वन्सुभद्राणि रथांगपाणे- र्जन्मानि कर्माणि च यानिलोके। गीतानि नामानि तदर्थकानि
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम प्रेम-स्त्रोत उमड़ पड़ा श्रृण्वन्सुभद्राणि रथांगपाणे- र्जन्मानि कर्माणि च यानिलोके। गीतानि नामानि तदर्थकानि
*।। श्रीहरि:।।* [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम *प्रादुर्भाव* कालान्नष्टं भक्तियोगं निजं
।। श्रीहरि:।।* [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम *वंश-परिचय* कुलं पवित्रं जननी
श्री हरि *औ कि जहाँ काला हिरन स्वेच्छा से विहार न करता हो, जहाँ ब्राह्मणों की भक्ति न होती हो
।। श्रीहरि [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम नदिया में प्रत्यागमन एवंव्रतः स्वप्रियनामकीर्त्या जातानुरागो द्रुतचित्त उच्चैः। हसत्यथो रोदिति रौति गाय-
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम वही प्रेमोन्माद यदा ग्रहग्रस्त इव क्वचिद्धस- त्याक्रन्दते ध्यायति वन्दते जनम्। मुहुः श्वसन
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम भक्त-भाव तृणादपि सुनीचेन तरोरपि सहिष्णुना। अमानिना मानदेन कीर्तनीयः सदा हरिः।। भक्तगण दास्य,
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम सर्वप्रथम संकीर्तन और अध्यापकी का अन्त तत्कर्म हरितोषं यत्सा विद्या तन्मतिर्यया। तद्वर्णं
*।। श्रीहरि:।।* [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम *सर्वप्रिय निमाई* यस्मान्नोद्विजते लोको
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम कृपा की प्रथम किरण निशम्य कर्माणि गुणानतुल्यान् वीर्याणि लीलातनुभिः कृतानि। यदातिहर्षोत्पुलकाश्रुगद्गदं प्रोत्कण्ठ