
कन्हैया ने जब पूतना को देखा !!
!! †* बधाई हो ! बधाई हो ! नाचती गाती गोपियाँ लौट रही थीं नन्दालय से । पूतना देख रही
!! †* बधाई हो ! बधाई हो ! नाचती गाती गोपियाँ लौट रही थीं नन्दालय से । पूतना देख रही
. श्रीजयदेव जी भगवान श्रीकृष्ण के प्रेमी भक्त थे। आपके हृदय में श्रीकृष्ण प्रेम हिलौरे लेता रहता था। उसी
.बात है प्रभु श्री कृष्ण के बाल्यकाल की। कन्हैया को माखन चोरी का बहुत शौक था।.सब गोप ग्वालो के साथ
बिहारी जी की सेवा प्रणाली में अन्य मन्दिरों की पूजा सेवा से कुछ विशेषताएं हैं। बिहारी जी के साथ राधिका
. हर छोटा अपने बड़े (उच्चाधिकारी) की सेवा, आराधना, भक्ति करता है तथा बड़ा उच्चाधिकारी) भी अपने से छोटे
एक जंगल में एक संत अपनी कुटिया में रहते थे। एक किरात (शिकारी), जब भी वहाँ से निकलता संत को
” क्या तुम नहीं देखते कि आधी आयु तो नींद से ही नष्ट हो जाती है??? और कुछ आयु भोजन
अपने सामने ही एक एक कर अपने सात पुत्रों की हत्या देख कर टूट चुका वह पिता अपनी गोद में
एक बार बालक श्रीकृष्ण अपनें सखाओं संग खेल रहे थे. श्रीदामा, बलराम तथा मनसुखा आदि उनके साथ रसमयी क्रीड़ा का
महाभारत का दृष्टान्त है । एक बार भगवान श्रीकृष्ण पांडवो के बीच बातों ही बातों में कर्ण की दानवीरता और