पंचाध्यायी–महारासलीला पोस्ट – 01
. रासलीला का आरम्भ शरद् ऋतु थी। उसके कारण बेला, चमेली आदि सुगन्धित पुष्प खिलकर महक रहे थे। भगवान ने
. रासलीला का आरम्भ शरद् ऋतु थी। उसके कारण बेला, चमेली आदि सुगन्धित पुष्प खिलकर महक रहे थे। भगवान ने
शुभ्र पूर्णिमा की शुभ्र चँद्ररजनी थी चँद्रअमृत भरी ! उतरी शुभ्र चँद्रकमल से थी जैसे कोई शुभ्र चँद्रपरी!! जब नीलम
श्री राधा विजयते नमः मैं जप करुंगी तो उनकी स्मृति मिल जायेगी,ध्यान करुंगी तो उनका रुप मेरे हृदय में आ
भक्ति रस से ओतप्रोत कथाकुन्ती यदुवंशी राजा शूरसेन की पुत्री,वसुदेवजी और सुतसुभा की बड़ी बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ
जो जीव एक बार श्री कृष्ण के शरणागत हो जाता है, उसे फिरकिसी ज्योतिषी को अपनी ग्रहदशा और जन्म कुंडली
एक बार बरसाने में एक वृजबसी के बेटे की शादी हुई, वो वृजबसिन् ने सबको बुलाया पर राधा रानी को
एक समय की बात है, जब किशोरी जी को यह पता चला कि कृष्ण पूरे गोकुल में माखन चोर कहलाता
भगवान की भक्ति में डूबकर हरिदास जी जब भी गाने बैठते तो प्रभु में ही लीन हो जाते। इनकी भक्ति
“अब मै अपनी आँखें खोलूं …कान्हा जी???…मै यहाँ पेड़ के पीछे और देर खड़ी नहीं रह सकती…” श्रीराधे बरगद
. “.प्रेम की प्रकाष्ठा” दिव्य अलौकिक, अनन्य, अनन्त,आत्मा और परमात्मा का मिलन है। श्री श्यामा श्याम आठों पहर एक दुसरे