
भगवान श्री कृष्ण और उनकी बुआ कुन्ती
भक्ति रस से ओतप्रोत कथाकुन्ती यदुवंशी राजा शूरसेन की पुत्री,वसुदेवजी और सुतसुभा की बड़ी बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ
भक्ति रस से ओतप्रोत कथाकुन्ती यदुवंशी राजा शूरसेन की पुत्री,वसुदेवजी और सुतसुभा की बड़ी बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ
जो जीव एक बार श्री कृष्ण के शरणागत हो जाता है, उसे फिरकिसी ज्योतिषी को अपनी ग्रहदशा और जन्म कुंडली
एक बार बरसाने में एक वृजबसी के बेटे की शादी हुई, वो वृजबसिन् ने सबको बुलाया पर राधा रानी को
एक समय की बात है, जब किशोरी जी को यह पता चला कि कृष्ण पूरे गोकुल में माखन चोर कहलाता
भगवान की भक्ति में डूबकर हरिदास जी जब भी गाने बैठते तो प्रभु में ही लीन हो जाते। इनकी भक्ति
“अब मै अपनी आँखें खोलूं …कान्हा जी???…मै यहाँ पेड़ के पीछे और देर खड़ी नहीं रह सकती…” श्रीराधे बरगद
. “.प्रेम की प्रकाष्ठा” दिव्य अलौकिक, अनन्य, अनन्त,आत्मा और परमात्मा का मिलन है। श्री श्यामा श्याम आठों पहर एक दुसरे
कहा जाता है निधिवन के सारी लताये गोपियाँ है जो एक दूसरे कि बाहों में बाहें डाले खड़ी है जब
श्री युगल संध्या गोपी-प्रेम बड़ा ही पवित्र है, इसमें अपना सर्वस्व अपने प्रियतम श्रीकृष्ण के चरणों में न्यौछावर कर देना
जब तक व्यक्ति के भीतर पाने की इच्छा शेष है, तब तक उसे दरिद्र ही समझना चाहिए। श्री सुदामा जी