
शबरी की भक्ति
शबरी के पिता भीलों के राजा थे. शबरी जब विवाह योग्य हुई तो इनके पिता ने एक भील कुमार से
शबरी के पिता भीलों के राजा थे. शबरी जब विवाह योग्य हुई तो इनके पिता ने एक भील कुमार से
जानकी माता बोली — बेटा हनुमान! बड़ा भला किया, जो तुमने बता दिया। हनुमान जी चरणों में गिर
राम चरित्र मानस एक दिन संध्या के समय सरयू के तट पर तीनों भाइयों संग टहलते श्रीराम से महात्मा भरत
श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं नवकंज लोचन, कंजमुख कर, कंज पद कंजारुणं। कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील
नमामि भक्त वत्सलं कृपालु शील कोमलम् भजामि ते पदाम्बुजम् अकामिनां स्वधामदं | निकाम श्याम सुंदरम भवाम्बुनाथ मन्दरम् प्रफुल्ल कंज लोचनं
सुखों का सागर, कलप वृक्ष, चिंतामणी, कामधेन गाय जिसके वश में हैं। चार पदारथ अठारह सिद्धियाँ नौ निधियाँ जिसकी हाथ
प्रेम की अगन हो,भक्ति सघन हो,मन में लगन हो तो,प्रभु मिल जाएंगे ॥हृदय में भाव हो,अनुनय की छांव हो॥आराधन का
*राम* शब्द में दो अर्थ व्यंजित हैं। सुखद होना और ठहर जाना। अपने मार्ग से भटका हुआ कोई क्लांत पथिक
जय श्री राम भगवान की भक्ति से नाम जप से श्रद्धा उत्पन होगी श्रद्धा से विश्वास जागृत होगा भगवान को
परमात्मा के नाम धन का सच्चा व्यापार करना है। दिल से नाम धन व्यापार करेगें तब दिन दुगना रात चौगुना