परमात्मा आनंद स्वरूप 2
तुम मंदिर में श्रीराम जी का दर्शन करते हो ,उस समय तुमको लगता होगा कि जैसे मेरे हाथ पैर हैं
तुम मंदिर में श्रीराम जी का दर्शन करते हो ,उस समय तुमको लगता होगा कि जैसे मेरे हाथ पैर हैं
आनंद के सागर रघुराई, हैं असीम कण-कण में व्यापक, जो जाना सो मुक्ति पाई। हो कितना अंधकार पुराना, पर प्रकाश
प्रिय तुम रामचरितमानस जरूर पढ़ना ।।……जीवन के अनुबंधों की,तिलांजलि संबंधों की,टूटे मन के तारो की,फिर से नई कड़ी गढ़ना,प्रिय तुम
मेघनाद से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को शक्ति लग जाती है और श्री हनुमानजी उनके लिये संजीवनी का
जब तें रामु ब्याहि घर आए।नित नव मंगल मोद बधाए। भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी। रिधि