
॥ शिव भक्त ॥
“शिवत्व” अर्थात लोक मंगल की वह उच्च मनोदशा जिसमें स्वयं अनेक कष्टों को सहकर भी दूसरों के कष्टों को मिटाने

“शिवत्व” अर्थात लोक मंगल की वह उच्च मनोदशा जिसमें स्वयं अनेक कष्टों को सहकर भी दूसरों के कष्टों को मिटाने

श्रावण मास में भगवान शिव को नमन करते हुए उनकी छटा के दर्शन करें। शिवजी का वाहन नंदी है, वृषभ
संपूर्ण धरती पर शिव का ही धर्म प्रचलित है :-आदिदेव शिव और गुरु दत्तात्रेय को धर्म और योग का जनक

१- ॐ भोलेनाथ नमः २-ॐ कैलाश पति नमः३-ॐ भूतनाथ नमः४-ॐ नंदराज नमः५-ॐ नन्दी की सवारी नमः६ ॐ ज्योतिलिंग नमः७-ॐ महाकाल

, जय महाकाल, हर महादेव, ॐ नमः शिवाय , जय भोले नाथ , ॐ नमः शिवाय, रूप हूं,, विशाल हूं,,रुद्र

शिवपुराण संहिता में कहा है कि सर्वज्ञ शिव ने संपूर्ण देहधारियों के सारे मनोरथों की सिद्धि के लिए इस ‘ॐ

माता पार्वती भगवान शंकर से पूछती हैं- प्रभु जे मुनि परमारथबादी।कहहिं राम कहुँ ब्रह्म अनादी।। सेस सारदा बेद पुराना।सकल करहिं

।। हर हर महादेव ।। भारत में बने हर एक मंदिर में आपको भगवान शिव की मूर्ति देखने को जरूर

शिवलिंग में विराजते हैं तीनों देव:-सबसे निचला हिस्सा जो नीचे टिका होता है वह ब्रह्म है, दूसरा बीच का हिस्सा

मेरे प्रिय आत्मन्! मनुष्य के जीवन में या जगत के अस्तित्व में एक बहुत रहस्यपूर्ण बात है। जीवन को तोड़ने