शिव-पार्वती के विवाह की कथा
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर पढ़ेमाता पार्वती एवं भूतभावन भोलेनाथ के विवाह की कथातुलसीदास जी कहते हैंशिव-पार्वती के विवाह की
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर पढ़ेमाता पार्वती एवं भूतभावन भोलेनाथ के विवाह की कथातुलसीदास जी कहते हैंशिव-पार्वती के विवाह की
रुद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है?महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर का अभिषेक करते भगवान शंकर की कृपा प्राप्त करें शिव
देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये श्री महाशिवरात्रि का व्रत विशेष महत्व रखता हैं। यह पर्व
शिवरात्रि तो हर महीने में आती है लेकिन महाशिवरात्रि सालभर में एक बार आती है। फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की
ॐनमःशिवाय राम जी के सबसे बड़े भक्त शिवजी है।शिवजी निरन्तर राम ,नाम का जप करते है।रामायण के सबसे प्राचीन आचार्य
सिव सम को रघुपति ब्रतधारी । बिनु अघ तजी सती असि नारी ।।भगवान शिव और माता सती देवी की असीम
उ०- शरीर से आत्मा के वियोग होने को मृत्यु कहते है।प्र०- क्या आत्मा अपनी इच्छा से दूसरे शरीर मे प्रवेश
शिव महामन्त्र ॐ नम: शिवाय,ॐ नम: शिवाय, हरहर बोले नम: शिवाय।रामेश्वराय शिव रामेश्वराय,हरहर बोले नम: शिवाय।गंगाधराय शिव गंगाधराय,हरहर बोले नम: शिवाय।जटाधराय शिव जटाधराय,हरहर बोले नम: शिवाय।सोमेश्वराय शिव
.श्रीराम का वनवास ख़त्म हो चुका था..एक बार श्रीराम ब्राम्हणों को भोजन करा रहे थे तभी भगवान शिव ब्राम्हण वेश
तीन ओर से घिरी सीमावर्ती पुंछ घाटी के उत्तरी भाग में पुंछ कस्बे से 23 किमी की दूरी पर स्थित