
जय माँ भगवती महादुर्गा
अनंतकोटि ब्रह्मांडों की अधीश्वरी भगवती श्रीदुर्गा ही सम्पूर्ण विश्व को सत्ता और स्फूर्ति प्रदान करती हैं। इन्हीं की शक्ति से
अनंतकोटि ब्रह्मांडों की अधीश्वरी भगवती श्रीदुर्गा ही सम्पूर्ण विश्व को सत्ता और स्फूर्ति प्रदान करती हैं। इन्हीं की शक्ति से
इस कवच के पाठ से शत्रुओं का नाश, सभी प्राणिमात्र का वशीकरण अति ऐश्वर्य को प्रदत्त करनेवाला पुत्र पौत्रादि की
अस्य श्री अर्गला स्तोत्र मंत्रस्य विष्णुः ऋषिः। अनुष्टुप्छंदः। श्री महालक्षीर्देवता। मंत्रोदिता देव्योबीजं। नवार्णो मंत्र शक्तिः। श्री सप्तशती मंत्रस्तत्वं श्री जगदंदा
जय लक्ष्मी-सन्तोषी शुक्र मंत्र: हिमकुंद मृणालाभं दैत्याना परमं गुरूम्।सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:सर्व मंगल मांगल्ये
।। जय माँ जगदम्बिका ।। तव च का किल न स्तुतिरम्बिकेसकलशब्दमयी किल ते तनु:।निखिलमूर्तिषु मे भवदन्वयोमनसिजासु बहि:प्रसरासु च।। इति विचिन्त्य
इतनी सी फ़रियाद मेरी याद रखना,अटल माँ मेरा सुहाग रखना मैया जी के माथे पे बिंदिया लगी हैबिंदिया लगी है
परिचय : भगतो पर जब भी संकट के बादल मंडराते है,माँ की लाल चुनरिया बच्चो की सिर पर ममता की
चढ़ के चढ़ैया मैयां दर तेरे आनी आ, चरना दे विच बह के मैं तरले पानी आ, चढ़ के चढ़ैया
शेरां वाली न पसंद किवें आई,मुहो कुज बोल चुनिये, ओ कियो झुक्दी है एस था खुदाई मुहो कुज बोल चुनिये,
रूठ गई मैया मेरी जाने किस बात से, पिगले न अनसु की बरसात से, सही ना जाए गी माँ मुझसे