
खेलत मदन गोपाल बंसत ।
खेलत मदन गोपाल बंसत ।नागरि नवल रसिक-चूडामनि, सब बिधि रसिक राधिका कंत ॥नैन-नैन-प्रति चारु बिलोकनि, बदन-बदन-प्रति सुंदर हास ।अंग-अंग प्रति
खेलत मदन गोपाल बंसत ।नागरि नवल रसिक-चूडामनि, सब बिधि रसिक राधिका कंत ॥नैन-नैन-प्रति चारु बिलोकनि, बदन-बदन-प्रति सुंदर हास ।अंग-अंग प्रति
तेरा नाम साझ सवेरे रटू , राधा रमण मेरे राधा रमण मेरे, राधा रमण मेरे,राधा रमण मेरे, राधा रमण मेरेसिर
कैसे कहूं सखी, मन मीरा होता तो श्याम को रिझा लेता उन्हे नयनो में समा लेता, ह्रदय राग सुना देता
हे मैय्या यशोमती मैय्या से,बोली बृज बाला,लूट लियो मेरो माखन,तेरो नन्दलाला । पहले सुनाई मुरली,मन हर लिन्हो,सुध बुध भुलाई मैय्या,ऐसो
पकड़ लो हाथ बनबारी, नही तो डूब जायेंगेहमारा कुछ ना बिगड़ेगा, तुम्हारी लाज जाएगीधरी है पाप की गठरी, हमारे सिर
तेरी गलियों का हूं आशिक़,मैं किधर जाऊंगा,तेरा दीदार ना होगा,तो मैं मर जाऊंगा,छोड़ कर सारे ज़माने को,हुआ हूं तेरा,ताने मारेगा
मुझे दे दर्शन गिरधारी रे,तेरी सांवरी सूरत पे मैं वारि रे॥ जमुना तट हरी धेनु चरावे,,,मधुर मधुर स्वर वेणु बजावे॥तेरी
ओ हरि जी, चरन कमल बलिहारी ओ हरि जीजेहि चरनन से सुरसरि निकली,सारे जगत को तारी ।जेहि चरनन से तरी
उधो रे हम प्रेम दीवानी हैं,वो प्रेम दीवाना।ऐ उधो हमें ज्ञानकी पोथी ना सुनाना॥ तन मन जीवन श्याम का,श्याम हम्मर
होली खेलन आयो श्याम आज याहि रंग में बोरो री, कोरे-कोरे कलश मँगाओ, रंग केसर को घोरो री, मुख ते