
राम नाम अमृत रसपान
भक्त मन को, दिल को, नैनो को, राम नाम अमृत का रसपान कराना चाहता है । आत्मा कहती हैं, कि

भक्त मन को, दिल को, नैनो को, राम नाम अमृत का रसपान कराना चाहता है । आत्मा कहती हैं, कि
राम राज्य का अर्थ है हमारे मन में पवित्रता हो। हमारे अन्तर्मन मे भगवान राम के आदर्श हो। जीवन में

जब छोड़ चालू इस दुनिया को, होंठो पे नाम तुम्हारा हो,चाहे स्वर्ग मिले या नरक मिले, हृदय में वास तुम्हारा

हे प्रभु हे शिव हे हे महादेव अजन्मा अनादि आपको आप को मेरा नमस्कार हैं नमस्कार है ‘नमस्कार हैं ।जो
होठों पर रहता है यही नाम सुबह शाममेरे राम मेरे राम।सबका रखवाला है राम नाममेरे राम मेरे रामजिसके ह्दय में

मै प्रथम राम राम मेरे भगवान तुमको करती हूं। हे परमात्मा तुम मेरी आत्मा के स्वामी हो। हे परम पिता

तेरा नाम साझ सवेरे रटू , राधा रमण मेरे राधा रमण मेरे, राधा रमण मेरे,राधा रमण मेरे, राधा रमण मेरेसिर

।।जय सियाराम ।।जय राम रमा रमनं समनं ।भव ताप भयाकुल पाहि जनम ॥अवधेस सुरेस रमेस बिभो ।सरनागत मागत पाहि प्रभो

कैसे कहूं सखी, मन मीरा होता तो श्याम को रिझा लेता उन्हे नयनो में समा लेता, ह्रदय राग सुना देता
हे मैय्या यशोमती मैय्या से,बोली बृज बाला,लूट लियो मेरो माखन,तेरो नन्दलाला । पहले सुनाई मुरली,मन हर लिन्हो,सुध बुध भुलाई मैय्या,ऐसो