
भगवान् श्रीशिव द्वारा श्रीराम- स्तुति
। छन्द-मामभिरक्षय रघुकुल नायक।धृत बर चाप रुचिर कर सायक।। मोह महा घन पटल प्रभंजन।संसय बिपिन अनल सुर रंजन।। अगुन सगुन

। छन्द-मामभिरक्षय रघुकुल नायक।धृत बर चाप रुचिर कर सायक।। मोह महा घन पटल प्रभंजन।संसय बिपिन अनल सुर रंजन।। अगुन सगुन

मंत्र मुग्ध कर प्रेम से, भगवन आएं द्वार, हरि छवि मेंरे मन बसे, दुख हरते दातार । प्रेम हृदय अर्पण

हे रोम रोम मे बसने वाले राम जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मै तुझ से क्या मांगूं आश का बंधन

होली खेलन आयो श्याम आज याहि रंग में बोरो री, कोरे-कोरे कलश मँगाओ, रंग केसर को घोरो री, मुख ते

मैं उत्थान में हूं, मैं उत्कृष्टता में हूं मैं आशा में हूं, मैं उपकार में हूं मैं निष्कपट में
आनंद का प्राकट्य तभी होता है।जब साधक अन्तर्मन में परम पिता परमात्मा को बैठा लेता है। परमात्मा में लीन शरीर
🚩जय श्री सीताराम जी की श्री रामचरित मानस लंका काण्ड दोहा :दुहु दिसि जय जयकार करिनिज जोरी जानि।भिरे बीर इत

तुम आशा विश्वास हमारे ।तुम धरती आकाश हमारे ॥ तात मात तुम, बंधू भ्रात हो,दिवस रात्रि संध्या प्रभात हो ।दीपक

नवल वसंत नवल वृंदावन खेलत नवल गोवर्धनधारी ।हलधर नवल नवल ब्रजबालक नवल नवल बनी गोकुल नारी ।।नवल जमुनातट नवल विमलजल
लय-स्वर पर नाचे मन मेराअन्दर का कर दूर अंधेराआये अनुपम सुखद सवेरा माता सरस्वती, माता सरस्वती, वीणा के सब तार