भजन (Bhajan)

आनन्द

‌आनंद का प्राकट्य तभी होता है।जब साधक अन्तर्मन में परम पिता परमात्मा को बैठा लेता है। परमात्मा में लीन शरीर

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आये अनुपम सुखद सवेरा

लय-स्वर पर नाचे मन मेराअन्दर का कर दूर अंधेराआये अनुपम सुखद सवेरा माता सरस्वती, माता सरस्वती, वीणा के सब तार

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