आजु सुफल तपु तीरथ त्यागू।
आजु सुफल तपु तीरथ त्यागू।आजु सुफल जप जोग बिरागू।। सफल सकल सुभ साधन साजू।राम तुम्हहि अवलोकत आजू।। लाभ अवधि सुख
आजु सुफल तपु तीरथ त्यागू।आजु सुफल जप जोग बिरागू।। सफल सकल सुभ साधन साजू।राम तुम्हहि अवलोकत आजू।। लाभ अवधि सुख
राम रसायन तुम्हारे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा।। यह रामरसायन क्या है,आईये जानते हैं।तुलसीदासजी लिखते हैं कि यदि हमें जीवन
बांसुरी बजाय तुम व्रज बस कीन्हों।तोहि बस करिबे को बांसुरी बजाइहौं।। भगवान ने देखा, मुरली नहीं है। समझ गये श्री
अध्याय १मोह ही सारे तनाव व विषादों का कारण होता है । अध्याय २शरीर नहीं आत्मा को मैं समझो और
Sri krishna janmaashtami kiHardik badhai.Sri radhey jiप्रेम का सागर लिखूं!या चेतना का चिंतन लिखूं!प्रीति की गागर लिखूं,या आत्मा का मंथन
सनक सनंदन सनातन, चौथे सनत्कुमार। ब्रह्मचर्य धारण किया, हुआ प्रथम अवतार ।। वाराहरूप धरके प्रभु, हिरण्याक्ष को मार। पृथ्वी लाये
कंचन पिचकारी लाई , सावरिया सरकारहोली खेलन को गए , राधा जी के द्वारधूम मचाने रंग बरसाने , आये तेरे
इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले। गोविन्द नाम लेकर मेरे प्राण तन से निकले। श्री गंगा जी
जरा सिर को झुकाओ वासुदेव जी,तेरे सिर पे त्रिलौकी नाथ हैं, छुंऊ इनके चरण बङे प्रेम से, आज यमुना की
ब्रज में है रही जय जयकार,नंद घर लाला जायो है।लाला जायो है जसोदा ने लाला जायो हैब्रज में है रही