भजन (Bhajan)

जगदीश हरे जगदीश हरे

निर्बल के प्राण पुकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे। श्वासों के स्वर झंकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे ॥ आकाश

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तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम्

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्मतां।।१।। रौद्राय नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः।ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै

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हे नाथ!

श्री कृष्णःशरणं मम‼जय श्रीकृष्ण ‼श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,हे नाथ नारायण वासुदेवाय !!!!! Զเधॆ Զเधॆ !! हे नाथ!मुझमें शबरी जैसा धैर्य

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