
शिव की महिमा निराली है,
शिव की महिमा निराली है,शिव के सिर गंगा बहती है,शून्य से संपूर्ण और शून्य,मृगछाला ओढे त्रिशूल धरे नंदी वाहक है

शिव की महिमा निराली है,शिव के सिर गंगा बहती है,शून्य से संपूर्ण और शून्य,मृगछाला ओढे त्रिशूल धरे नंदी वाहक है

श्याम मुझे भी शामिल करले, तेरे इस परिवार मैहाजरी लगवाते रहना, श्याम तेरे दरबार मै ।। श्याम तुम्हारे खाते मे

१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा।२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कपलिनी नागलक्ष्मी स्वाहा।३. ॐ ऐं

मंगल मूरति राम दुलारे,आन पड़ा अब तेरे द्वारे,हे बजरंगबली हनुमान।हे महावीर करो कल्यान। हे महावीर करो कल्यान।। तीनो लोक तेरा

अनंतकोटि ब्रह्मांडों की अधीश्वरी भगवती श्रीदुर्गा ही सम्पूर्ण विश्व को सत्ता और स्फूर्ति प्रदान करती हैं। इन्हीं की शक्ति से
इस कवच के पाठ से शत्रुओं का नाश, सभी प्राणिमात्र का वशीकरण अति ऐश्वर्य को प्रदत्त करनेवाला पुत्र पौत्रादि की

राधे राधे बोलिये , मिले श्याम का साथ।भक्तो के सर पर रखते,अपने वो दोनों हाथ।राधे राधे बोलिए मिले श्याम

खुद तो बाहर ही खड़े रहे, भीतर भेजा पांचाली को,यतिवर बाबा के चरणों में,जाकर अपना मस्तक रख दो । अर्धरात्रि

श्री वल्लभ केशव मिलें कब श्रीवल्लभ के प्यारे।।जिनके हाव भाव प्रीती रस, तिहु लोक ते न्यारे ।।कृपा समुद्र भरे अंग

।। नमो राघवाय ।। जुबतीं भवन झरोखन्हि लागीं।निरखहिं राम रूप अनुरागीं।। कहहिं परसपर बचन सप्रीती।सखि इन्ह कोटि काम छबि जीती।।