
जय प्रभु शंकर दीनदयाला ।प्रभु जी मोहे करो निहाला
जय प्रभु शंकर दीनदयाला ।प्रभु जी मोहे करो निहाला ।।सत्य संतोष शील मोहित दीजिए । मोर दोष दुर सब किजिए
जय प्रभु शंकर दीनदयाला ।प्रभु जी मोहे करो निहाला ।।सत्य संतोष शील मोहित दीजिए । मोर दोष दुर सब किजिए
आज तो कैलाश में बाज रहे डमरू, नाच रहे भोलेबाबा बाज रहे घूंघरूशंकर जी नाचे संग पार्वती जी नाचेभूत प्रेत
एक दिन वो भोले भंडारी, बन करके बृजनारी, गोकुल में आ गये हैं,। पार्वती भी मनाके हारी, ना माने त्रिपुरारी,
हे प्रभु हे शिव हे हे महादेव अजन्मा अनादि आपको आप को मेरा नमस्कार हैं नमस्कार है ‘नमस्कार हैं ।जो
आशुतोष सशांक शेखर चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू कोटि नमन दिगम्बरा, निर्विकार ओमकार अविनाशी तुम्ही देवाधि देव ,जगत
ॐ भोलेनाथ नमःॐ कैलाश पति नमःॐ भूतनाथ नमःॐ नंदराज नमःॐ नंदी की सवारी नमःॐ ज्योतिलिंग नमॐ महाकाल नमःॐ रुद्रनाथ नमःॐ
शिव शंकर के नाम की, महिमा अपरंपार | दिव्य ज्ञान देता सदा, जग में होता नाम |भोले के दरबार में,
शिव की महिमा निराली है,शिव के सिर गंगा बहती है,शून्य से संपूर्ण और शून्य,मृगछाला ओढे त्रिशूल धरे नंदी वाहक है
रूद्ररूप में भगवान शिव के साथ संरेखित करने के लिए रुद्र गायत्री मंत्र का अभ्यास किया जाता है। रूद्र मंत्र
हरीओम नम शिवाय हरीओम नम शिवायकैलाश पर्वत से चले सदाशिव अवध पूरी को आयेराम जनम की महिमा सुन लईदर्शन को