क्यो गरब करे
क्यो गरब करे मन मूरख तु,जग छोङ के एक दिन जाना है, करले कुछ सुकृत जीवन मे,ये दुनिया मुसाफिर खाना
क्यो गरब करे मन मूरख तु,जग छोङ के एक दिन जाना है, करले कुछ सुकृत जीवन मे,ये दुनिया मुसाफिर खाना
अमर आत्मा सच्चिदानद मैं हूँ, शिवोहं शिवोहं शिवोहं शिवोहं। अखिल विश्व का जो परमात्मा है, सभी प्राणियो का वो ही
एह सांचो कहिजे जाम्भोजी रो नाम, मुक्ति रो अवसर आवियो, भाई रे साँचो कहिजे जाम्भोजी रो नाम, साँचो कहिजे जाम्भोजी
जिनको अपनी मम्मी से प्यार है, उनके लिए ही श्याम दरबार है, मुझको घर पे तुम बुलाते हो, माँ को
तर्ज _ ये पर्दा हटा दो ज़रा मुखडा दिखा दो जरा ध्यान से सुनलो न घर से बाहर निकलो जरा
आहे तन्ने के मिल ज्यागा पगली चुगली मेरी तेरी मै चुगली मेरी तेरी मै चुगली मेरी तेरी मै आहे तन्ने
जय कालेश्वर दाता हम सबके भाग्यविदाता, तूने कैसी खेल रचाई साथ थीड़ा में बैठ के सारे भक्तो के कष्ट मिटाये,
समय ही हसाये समय ही रुलाय, समय ने समय को ये क्या दिन दिखाए, समय रूठ जाए तो सब छूट
जप ले हरी का नाम, मेरे मन, काहे भूलो हरी का धाम । काम ना आएगी झूठी माया, ना तेरा
ओ मइया आयो तेरो दास, रखलै चरना के तू पास आपा दोनुआ का काम निकल जासी, तन्ने नौकर,मन्ने मालकिन मिल