
आज थलवट धरा ऊपर
आज थलवट धरा ऊपर, भलो उग्यो भाण जी, आज थलवट धरा ऊपर, भलो उग्यो भाण जी, आदि शक्ति हिंगला चा,
आज थलवट धरा ऊपर, भलो उग्यो भाण जी, आज थलवट धरा ऊपर, भलो उग्यो भाण जी, आदि शक्ति हिंगला चा,
जप ले हरी का तू नाम, नाम भोले प्राणी आएगा बस यही काम, काम भोले प्राणी कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी,
कमाओ हीरा या मोती कफ़न में जेब नहीं होती. चाहे खाओ छप्पन व्यंजन , चाहे खाओ रूखी और लवण ,
मत कर तू अभिमान रे बंदे, जूठी तेरी शान रे । मत कर तू अभिमान ॥ तेरे जैसे लाखों आये,
सत्संग वो गंगा है इस में जो नहाते है, पापी से पापी भी पावन हो जाते है, ऋषियों ने मुनियो
आओ आओ सब मिल इक हो जाओं, भेद भाव और उच नीच को आओ जड़ से मिटाये, इक ईश्वर सब
अरज म्हारी सुणता जाजो जी भीमाजी रा लाल मेहर तुम करता रहेजो जी ग्वाल बाल सब ठाड़ा रहे और नवी
अंत वेले सब तैनू छड़ जाणगे, करम तेरे सामने तेरे औणगे । पहनदा सैं तू पोशाका रेशमी, घटिया जहि चादर
मैया जी मेरी बेटी चली ससुराल, रखना उसका ख़याल हमने दिल के जिस टुकड़े को बाहों का झूला झुलाया माँ
कलगीधर दशमेश पिता जेहा, दुनिया ते कोई होया नही, चार पुत्र ओहने वतना तो वारे, एक वी लाल लकोया नही,