प्रभु ! मुझको यह दो वरदान।
करुणामय ! उदार चूड़ामणि ! प्रभु ! मुझको यह दो वरदान।देखूं तुम्हें सभीमें, सभी अवस्थाओंमें हे भगवान॥ शब्द मात्रमें सुन
करुणामय ! उदार चूड़ामणि ! प्रभु ! मुझको यह दो वरदान।देखूं तुम्हें सभीमें, सभी अवस्थाओंमें हे भगवान॥ शब्द मात्रमें सुन
मेरा नाथ तू हैं नहीं मैं अकेला मेरे साथ तू हैं मेरा नाथ तू हैंचला जा रहा हूं मैं राहों
उनको चाहा, उसकी करते हैं प्रियतम खुद चाह।जो आहें भरता है, उसके लिये स्वयं वे भरते आह॥ जिसको क्षणभर प्रिय-वियोगमें
मेरी अभिलाषा.सखी! तुम इतनौ करियो काम।मेरे मृत सरीर की या विधि करियो गति ललाम।प्रानाधिका सखी तुम सगरी मंत्र दीजियो कान।‘कृष्ण’
ॐ तुलस्यै नमः ॐ पावन्यै नमः ॐ पूज्यायै नमः ॐ वृन्दावननिवासिन्यै नमः ॐ ज्ञानदात्र्यै नमः ॐ ज्ञानमय्य नमः ॐ निर्मलायै
छपा दिए हैं कार्ड तुलसा तेरी शादी केतुलसा तेरी शादी के तुलसा शादी केछपा दिए हैं कार्ड तुलसा तेरी शादी
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूंन मैं धाम धरती न धन चाहता हूं। कृपा का तेरी एक कण चाहता
कितना दयावान भगवानप्रेम प्रभु को सच्चे मन से करके देख नादान । कितना दयावान भगवान ॥दीनबन्धु वह दया का सागर
दिवाली के बाद भी चंद दीपकजला के रखनाएक दीपक आस काएक दीपक विश्वास काएक दीपक प्रेम काएक दीपक शांति काएक
मां तुलसी पूजन, तुलसी विवाह एवं कार्तिक माह में मां तुलसी की आरती सबसे अधिक श्रवण की जाती है। तुलसी