
मैं अमर हूं, मैं अमृत हूं
मैं उत्थान में हूं, मैं उत्कृष्टता में हूं मैं आशा में हूं, मैं उपकार में हूं मैं निष्कपट में
मैं उत्थान में हूं, मैं उत्कृष्टता में हूं मैं आशा में हूं, मैं उपकार में हूं मैं निष्कपट में
लय-स्वर पर नाचे मन मेराअन्दर का कर दूर अंधेराआये अनुपम सुखद सवेरा माता सरस्वती, माता सरस्वती, वीणा के सब तार
सतसंग वाली नगरी चल रे मना,पी ले राम जी के चरणों का तूं जल रे मना,चल रे मना, चल रे
दिन-रजनी, तरु-लता, फूल-फल, सूर्य-सोम, झिलमिल तारे।प्रतिपल, प्रति पदार्थमें तुम मुझको देते रहते प्यारे॥ कितना दिया, दे रहे कितना, इसका मिलता
ये चमक ये दमक फूलवन मा महक,सब कुछ सरकार तुम्हई से है।ये चमक ये दमक फूलवन मा महकये चमक ये
।। श्री: कृपा ।। श्रद्धा, विश्वास और निष्कपट प्रार्थनाए, ऐसी अदृश्य, अमूर्त-अतुल्य शक्तियां हैं, जो असाध्य को साध्य और असम्भव
हम जो भी कर्म करते हैं मन की एकाग्रता सेचाहे खाना बनाए,पढ़ाई करें,कपड़े धोए,या कोई गेम खेले,,ये इतनी बड़ी-बड़ी फैक्ट्री
सत्य को,सदैव तीन चरणों,से गुजरना होता है, उपहास, विरोध, अनंत स्वीकृतिपानी की एक बूंद गर्म तवे पर पड़े तो मिट
आरती आना,आरती करना और आरती होने में फर्क है।आप कहोगे मै पागल तो नही हो गया हु।मै देखता हूं लोगो
हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये,शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए। लीजिये हमको शरण में, हम सदाचारी बनें,ब्रह्मचारी धर्म-रक्षक,