विविध भजन (Vividh Bhajan)

तेरे आंखों के दरिया का ,

तेरे आंखों के दरिया का ,उतरना भी जरूरी था,मोहब्बत भी ज़रूरी थी,बिछड़ना भी ज़रूरी था । सब ज़रूरी है,निश्चित है,ज़रूरी

Read More...

तुम्हारा सामीप्य सांवरे

सर्वज्ञ, तृप्त, परिपूर्ण, निस्पृह करता है तुम्हारा सामीप्य सांवरेमैं पृथ्वीलोक से उठकर कर आती हूं परिक्रमासत्यलोक, क्षमालोक और शुचिलोक तक

Read More...