
इक़ दर्द छुपा हो सीने में, मुस्कान अधूरी लगती है
इक़ दर्द छुपा हो सीने में, मुस्कान अधूरी लगती है जाने क्यों बिन श्याम के, हर शाम अधूरी लगती है

इक़ दर्द छुपा हो सीने में, मुस्कान अधूरी लगती है जाने क्यों बिन श्याम के, हर शाम अधूरी लगती है

हे भक्तगण… ना जाने कौन से गुण परदयानिधि रिझ जाते हैंयही हर भक्त कहते हैंयही सद्ग्रंथ गाते हैं नहीं स्वीकार

भगवान राम अयोध्या नगरी की महीमा का बखान अपने श्री मुख से करते हैं श्री राम जय राम जय जय

हे दीनबंधु शरण हूं तुम्हारी खबर लो हमारीये माना की गलती हमसे हुईं हैंभुलाया है तुझकोअपने पराये का भेद ना
हम हिन्दू सत्य सनातन है। हम शाशवत सत्य सनातन हैहम सुर्य देव की प्रथम किरणहम अटल हिमालय का हिम कण

मेरे प्यारे सांवरे दिल का हाल सुनाती हूंमैं खुशी से फूल जाती हूंजब मैं तुम्हें अपने इतना करीब पाती हूंतब

मेरे मनके धन तुम ही हो, तुम ही मेरे तनके श्वास।आश्रय एक, भरोसा तुम ही, तुम ही एकमात्र विश्वास॥ मैं

करुणामय ! उदार चूड़ामणि ! प्रभु ! मुझको यह दो वरदान।देखूं तुम्हें सभीमें, सभी अवस्थाओंमें हे भगवान॥ शब्द मात्रमें सुन

मेरा नाथ तू हैं नहीं मैं अकेला मेरे साथ तू हैं मेरा नाथ तू हैंचला जा रहा हूं मैं राहों

उनको चाहा, उसकी करते हैं प्रियतम खुद चाह।जो आहें भरता है, उसके लिये स्वयं वे भरते आह॥ जिसको क्षणभर प्रिय-वियोगमें