मोहे प्रेम का अमृत पिला दो प्रभो
मोहे प्रेम का अमृत पिला दो प्रभु जीवन नैया डगमग डोले, व्याकुल मनवा पी पी बोले । इस नैया को
मोहे प्रेम का अमृत पिला दो प्रभु जीवन नैया डगमग डोले, व्याकुल मनवा पी पी बोले । इस नैया को
बसाले श्याम मुझे अधरों पर तो बंशी बन मै बजती रहुं।लगु तेरे होठों से तो मै प्रेम रस पीती रहुं।अगर
श्री कृष्णःशरणं ममजय श्रीकृष्ण ‼श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,हे नाथ नारायण वासुदेवाय !!! मारने वाला हैं भगवानबचाने वाला हैं भगवानबाल न
तेरे नाम से जी लू तेरे नाम से मर जाऊँऐसा वर दो हर गयारस को तेरे दर्शन पाऊँजब भी मैं
हे प्राणधन कान्हा प्रियकान्त प्यारे जु सुनो, माधव छू लूँ तुझे या ,तुझ में ही बस जाऊँ कोई तो ऐसा
केवल तुहें पुकारूँ प्रियतम ! देखूँ एक तुहारी ओर।अर्पण कर निजको चरणोंमें बैठूँ हो निश्चिन्त, विभोर॥ केवल तुहें पुकारूँ प्रियतम
राखी के धागों के संग-संग…राह तुम्हारी देखूँगा मैं,देर नहीं, नहीं कोई बहाना।राखी के धागों के संग-संग,थोड़ा बचपन भी ले आना।
माटी का पुतला ये नर तन,क्या हरदम रह पायेगा।नाम प्रभु का लेले रे बंदे,ये ही साथ निभायेगा।पूजा, अर्चन, ध्यान न
आज मेरे घर आना भक्तों आज मेरे घर कीर्तन है,आज मेरे घर आना भक्तों आज मेरे घर कीर्तन है।। नींद
कहां छुप गए भाव स्नेह के, मेरा सूना हुआ संसार,सुख गए सब श्रोत स्नेह के,मेरे अंता स्थल का प्यार,ऐसे दीन