नित्य व्रज रज का तीन जगह तिलक
आज का आध्यात्मिक विचार ब्रज रज की महिमा संसार एक रज के समान है जो पल पल जिसका झड़ना हो
आज का आध्यात्मिक विचार ब्रज रज की महिमा संसार एक रज के समान है जो पल पल जिसका झड़ना हो
एक बार कान्हा जी एक गोपी के घर में चोरी से गए और कमरे के बीचोंबीच एक मटकी में माखन
एक रसिक संत हुए श्री बिहारीदास जी। मथुरा की सीमा पर ही भरतपुर वाले रास्ते पर कुटिया बनाकर भजन करते
मनुष्य को निरन्तर प्रभु चिंतन करते रहना चाहिए।प्रभु चिंतन करते रहने से मनुष्य कष्टों से दूर रहता है, उसकी एकाग्रता
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि केवल मूर्ति में मेरा दर्शन करने वाला नहीं अपितु सारे संसार में प्रत्येक
‘एक समय सेठ पुरुषोत्तम दास झारखंड में मंदार मधुसूदन ठाकुर जी के मंदिर में थे। यह मंदिर मंदार पर्वत के
हे मुरारी ! तेरा नाम ही असली आरती है। तेरा नाम ही सच्चा स्नान और तीर्थ है। हरी के नाम
संसार में ऐसे लोग बहुत मिल जायेंगे जो त्याग और वैराग्य की बातें करते रहते हैं कि यह संसार असार
गतांक से आगे- “भक्ति को गुप्त रखना चाहिये , मेरी भक्ति का प्रचार प्रसार हो ऐसी कामना निन्दनीय है”। इस
गतांक से आगे – साँई ! मैं द्वारिका जा रहा हूँ …आपको अगर द्वारिकाधीश के दर्शन करने हैं तो चलिये