
रामनामसत्य_है ” ऐसा क्यों बोला जाता है :– आइये जानते है
रामनामसत्य_है ” ऐसा क्यों बोला जाता है :– आइये जानते हैं……एक समय कि बात जब बाबा तुलसीदास जी अपने गांव

रामनामसत्य_है ” ऐसा क्यों बोला जाता है :– आइये जानते हैं……एक समय कि बात जब बाबा तुलसीदास जी अपने गांव

ग्वालिन के प्राणों में स्पन्दन होने लगता है। पर क्षणभर का भी विलम्ब मनोरथ को तोड़ देगा! ग्वालिन विद्युद्गति से

वैष्णव इसलिये गले में तुलसी की कण्ठी धारण करते हैं । ये शरीर भोग के लिये नहीं है-यह शरीर भगवान्

प्रथम राम राम मेरे भगवान् तुमको करती हूं। हे परमात्मा तुम मेरी आत्मा के स्वामी हो। हे परम पिता परमात्मा

।। नमो राघवाय ।। भक्तिमार्ग प्रभुप्राप्ति के अन्य मार्गों में सबसे आसान है। तुलसीदासजी ने इसे राजमार्ग- जैसा बताया है-

श्रीकृष्ण भगवान द्वारका में रानीसत्यभामा के साथ सिंहासन पर विराजमान थे,निकट ही गरुड़ और सुदर्शन चक्र भी बैठे हुए थे।तीनों

भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में ही सच्चा सुख है। हरि नाम दीपक बिना मन में अंधेरा है। जीवन का

दशहरे से शरद पूर्णिमा तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी किरणें होती हैं। इनमें विशेष रस होते हैं। इन

प्रेम कोई भावना नहीं है, हर व्यक्त्ति के परे प्रेम है। व्यक्त्तित्व बदलता है। शरीर, मन और व्यवहार हमेशा बदलते

हम में से अधिकांश लोग अच्छा दिखने की कोशिश करते हैं, और दिखाने के लिए इतनी अच्छी और ज्ञान भरी