
हमें निरन्तर प्रभु चिंतन पर दृष्टि टिका कर रखनी चाहिए
मनुष्य को निरन्तर प्रभु चिंतन करते रहना चाहिए।प्रभु चिंतन करते रहने से मनुष्य कष्टों से दूर रहता है, उसकी एकाग्रता
मनुष्य को निरन्तर प्रभु चिंतन करते रहना चाहिए।प्रभु चिंतन करते रहने से मनुष्य कष्टों से दूर रहता है, उसकी एकाग्रता
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि केवल मूर्ति में मेरा दर्शन करने वाला नहीं अपितु सारे संसार में प्रत्येक
‘एक समय सेठ पुरुषोत्तम दास झारखंड में मंदार मधुसूदन ठाकुर जी के मंदिर में थे। यह मंदिर मंदार पर्वत के
हे मुरारी ! तेरा नाम ही असली आरती है। तेरा नाम ही सच्चा स्नान और तीर्थ है। हरी के नाम
संसार में ऐसे लोग बहुत मिल जायेंगे जो त्याग और वैराग्य की बातें करते रहते हैं कि यह संसार असार
गतांक से आगे- “भक्ति को गुप्त रखना चाहिये , मेरी भक्ति का प्रचार प्रसार हो ऐसी कामना निन्दनीय है”। इस
गतांक से आगे – साँई ! मैं द्वारिका जा रहा हूँ …आपको अगर द्वारिकाधीश के दर्शन करने हैं तो चलिये
जीवन का आनंद लेने के लिए हमारे अंदर आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है।बिना आत्मविश्वास के हम किसी भी मंजिल
गतंक से आगे- कोकिल जी के गुरुदेव परम सिद्ध एक ज्ञानी पुरुष थे …ज्ञान की उच्चतम अवस्था में वो पहुँचे
बहूत सुंदर लीला है राधा कृष्ण की (जिसके हृदय में श्रीकृष्ण का दिव्यप्रेम है, वही श्री राधा के प्रेम को