
सुखी जीवन का रहस्य
हर हर महादेव एक महान संत हुआ करते थे जो अपना स्वयं का आश्रम बनाना चाहते थे जिसके लिए वो
हर हर महादेव एक महान संत हुआ करते थे जो अपना स्वयं का आश्रम बनाना चाहते थे जिसके लिए वो
पञ्चतन्त्र में एक कथा आती है एक कुत्तेकी, जो कई दिनोंसे भूखा था। खाना खोजता-फिरता था। चलते-चलते वह एक नदीके
|| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे…………उपनिषदों में जहाँ तत्व की बात बतायी गयी है, कहा है कि यह
|| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे…………चुम्बक होता है, जमीन पर लगाने से लोहे के परमाणु उसके साथ आ
|| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे…………तब हम अज्ञानी क्यों बनें | सब परमात्मा हैं – यह मानने में
|| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे…………भगवान् के तत्व-रहस्य-गुण लीला की बातें ऐसी है कि उनको समझ लेने पर
भगवान् आ गये | वे भगवान् आये | इस तरह प्रतीक्षा करनी चाहिये | सारी प्रजा भगवान् के विमान को
भक्ति स्वयं फल है. फल उसे कहते हैजो कर्म के पश्चात प्राप्त होता है. अगर कर्म का फल क्या होगा
।।श्रीहरिः।। श्रद्धेय श्रीराधाबाबा आप भगवान् की यह बड़ी भारी कृपा समझें कि आसक्ति आपको आसक्तिके रूपमें दीख रही है| इसका
जो मुझसे नहीं होगा। वह ध्यान देकर विचार करे कि कठिन क्या नहीं है?यह जो आप गप्प से रोटी खा