कार्तिक माह महात्म्य अध्याय-15
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास पंद्रवा अध्याय लिखे यह दास राजा पृथु ने नारद जी से पूछा:-हे नारद जी
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास पंद्रवा अध्याय लिखे यह दास राजा पृथु ने नारद जी से पूछा:-हे नारद जी
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास चौंतीसवां अध्याय लिखे यह दास ** *ऋषियों ने पूछा: –* हे सूतजी! पीपल के
सुख होगे जो कथा सुने विश्वास तैंतीसवां अध्याय लिखे यह दास *सूतजी ने कहा: –* इस प्रकार अपनी अत्यन्त प्रिय
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास इकतीसवां अध्याय लिखे यह दास** *भगवान श्रीकृष्ण ने कहा :–* पूर्वकाल में अवन्तिपुरी (उज्जैन)में
भगवान श्रीकृष्ण ने आगे कहा:-हे प्रिये! यमराज की आज्ञा शिरोधार्य करते हुए प्रेतपति धनेश्वर को नरकों के समीप ले गया
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास तीसवां अध्याय लिखे यह दास** *भगवान श्रीकृष्ण सत्यभामा से बोले :–* हे प्रिये! नारदजी
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास आठाइसवां अध्याय लिखे यह दास *धर्मदत्त ने पूछा :–* मैंने सुना है कि जय
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास उन्नतिसवां अध्याय लिखे यह दास* *राजा पृथु ने कहा :-* हे मुनिश्रेष्ठ! आपने कलहा
सूखे भोगे जो कथा सुने विश्वास सताइसवां अध्याय लिखे यह दास* *पार्षदों ने कहा: –* एक दिन की बात है,
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास छबीसवां अध्याय लिखे यह दास *नारद जी बोले :–* इस प्रकार विष्णु पार्षदों के