ओशो लेख
मैं अपने निवास स्थान योगेश भवन से निकलकर नजदीक ही स्थित भंवरताल पार्क की ओर जाने लगा। मेरी वह चाल
मैं अपने निवास स्थान योगेश भवन से निकलकर नजदीक ही स्थित भंवरताल पार्क की ओर जाने लगा। मेरी वह चाल
एक मक्खी एक हाथी के ऊपर बैठ गयी हाथी को पता न चला मक्खी कब बैठी। मक्खी बहुत भिनभिनाई आवाज
मैंने सुना है, एक सूफी फकीर के आश्रम में प्रविष्ट होने के लिये चार स्त्रियां पहुंचीं। उनकी बड़ी जिद थी,
।। श्री: कृपा ।।🌿 पूज्य “सद्गुरुदेव” जी ने कहा – सफलता की प्राप्ति के लिए ज्ञान, पुरुषार्थ के अतिरिक्त सही
. बूढी मां और लाचार बाप को बिलखता छोड़कर एक ऋषि तपस्या करने के लिए वन में चले गए !
एक बार निकुंज में श्याम सुंदर जी ने प्रिया जी के लिए निकुंज सजाया माला बनायीं हाथो से बीड़ा पान
“ उफ्फ……. कैसे इंसान के साथ बांध दिया है मुझे मां बाबूजी ……अगर मन मे प्यार नही था तो नही
भगवान श्रीराम ने भरतजी की प्रशंसा की तो उन्होंने कहा- ‘प्रशंसा तो आपकी क्योंकि मुझे आपकी छत्रछाया मिली। आप स्वभाव
एक राजा था, बहुत प्रभावशाली, बुद्धि और वैभव से संपन्न। आस-पास के राजा भी समय-समय पर उससे परामर्श लिया करते
पढ़िए सूर्य भगवान की ये पौराणिक कथा, दूर होंगे सारे कष्टप्राचीन काल की बात है। एक बुढ़िया थी जो नियमित