
सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ प्रेमगाथा- शिव-पार्वती का प्रेम…
माता पार्वती शिवजी की केवल अर्धांगिनी ही नहीं शिष्या भी बनीं। शिवजी से अनेक विषयों पर चर्चा करतीं।एक दिन पार्वतीजी

माता पार्वती शिवजी की केवल अर्धांगिनी ही नहीं शिष्या भी बनीं। शिवजी से अनेक विषयों पर चर्चा करतीं।एक दिन पार्वतीजी

महामुनी व्यास को नदी के उस पार जाना था ,और वे नाव के प्रशिक्षा कर रहे थे,कि इतने में वहां

एक भक्त इमली के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान् का भजन कर रहा था। एक दिन वहाँ नारद जी महाराज

वृन्दावन में श्रीकृष्ण का एक ऐसा मंदिर है जो अपने आप ही खुलता और बंद हो जाता है। यह भी

आज का प्रभु संकीर्तनजीवन मे मनुष्य बहुत कुछ जानने और सीखने का प्रयत्न करता है।सीखना और जानना एक कला है।जो

गोपियाँ श्री कृष्ण से पूछती हैं कि कान्हा बताओतुम जिस पर कृपा करते हो उसे क्या प्रदान करते हो.तो श्यामसुंदर

मनुष्य को निरन्तर प्रभु चिंतन करते रहना चाहिए।प्रभु चिंतन करते रहने से मनुष्य कष्टों से दूर रहता है, उसकी एकाग्रता

एक घर मे दोई सास बहू रहती थी । सास ने बहु से कहा , बहु अब कल सी अधिकमास

हरियाली तीजउत्तर भारत की विवाहित महिलाएं सावन महीने में मनाती हैं। खासकर बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा

कथा के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को उनके पिछले जन्मों का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा