☆श्री खाटूश्याम वंदना☆
🌹 जय श्री श्याम जी 🌹 हाथ जोड़कर विनति करूसुनियो चित्त लगाये,दास आ गयो शरण मेराखियो इसकी लाज। धन्य ढूंढारो
🌹 जय श्री श्याम जी 🌹 हाथ जोड़कर विनति करूसुनियो चित्त लगाये,दास आ गयो शरण मेराखियो इसकी लाज। धन्य ढूंढारो
मैं हूँ मेरी तन्हाई हैं और ख्यालों मे तुम हो,मुस्कुराती तुम्हारी बातें और होंठों की हंसी तुम हो नींद मे
।। नमो विश्वस्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमो नमः।।१।। नमो विज्ञानरूपाय परमानन्दरूपिणे।कृष्णाय गोपीनाथाय गोविन्दाय नमो नमः।।२।। नमः कमलनेत्राय नमः कमलमालिने।नमः कमलनाभाय
हे स्वामिनी राधे, कब ऐसी घड़ी आएगी,जब मैं आपके श्री चरणों की सेवा का सौभाग्य पाऊंगी , आप सिंघासन पर
।। (गोस्वामी तुलसीदासजी विरचित विनयपत्रिका से) गाइये गनपति जगजगबंदन।संकर-सुवन भवानी-नंदन।। सिद्धि-सदन, गज-बदन, बिनायक।कृपा-सिंधु, सुन्दर, सब लायक।। मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता।बिद्या-बारिधि, बुद्धि-बिधाता।। माँगत
आज का भगवद चिंतन।भगवान श्री कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं कि इस भौतिक संसार के प्रत्येक पदार्थ में मैं
🕉 नम: शिवायश्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमःॐ श्री काशी विश्वनाथ विजयते सर्वविपदविमोक्षणम् मही पादाघाताद् व्रजति सहसा संशयपदंपदं विष्णोर्भ्राम्यद् भुज-परिघ-रुग्ण-ग्रह-गणम्। मुहुर्द्यौर्दौस्थ्यं यात्यनिभृत-जटा-ताडित-तटाजगद्रक्षायै
मेरे सांवरे नित्त ध्यान धरूँ चित्त से हित से,उर गोविन्द के गुण गाया करूँ।वृंदावन धाम में श्याम सखा,मन ही मन
नमामीशमीशान निर्वाणरूपंविभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहंचिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं।।१।। अर्थ-हे मोक्षस्वरूप, विभु, व्यापक, ब्रह्म और वेदस्वरूप, ईशान दिशा के ईश्वर
ऐसो कब करिहो प्रिया-प्रीतमनिशदिन टहल महल चित्त लाऊँ ।सुन्दर सरस स्वरूप माधुरीअनिमिष अचवत नैन सिराऊँ ॥नव-सत नव श्रृंगार मनोहरसुभग अंग