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राम राम जी अभिमान नहीं होनाचाहिए कि हमेंकिसी की जरूरतनहीं पड़ेगी…..,और यह वहम भीनहीं होना चाहिएकि सबको हमारीजरूरत पड़ेगी…..हमें वर्तमान

राम राम जी अभिमान नहीं होनाचाहिए कि हमेंकिसी की जरूरतनहीं पड़ेगी…..,और यह वहम भीनहीं होना चाहिएकि सबको हमारीजरूरत पड़ेगी…..हमें वर्तमान

भगवान में लग जाना यही सर्वोत्तम भाग्य है, बाकी तो सब कुछ अभाग्य ही है । बड़ी-से-बड़ी सम्पति भी प्राप्त

” दिव्य दृष्टि “ गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि केवल मूर्ति में मेरा दर्शन करने वाला

मन में कोई उलझन हो फ़ैसला लेना मुश्किल लग रहा हो, तो परमात्मा का स्मरण करो । जैसे हम औरों

आप ईश अनुग्रह संपन्न गौरवशाली, सदा परिपूर्ण, अमर आत्मा, अद्भुत सामर्थ्यशाली , ज्ञान की शक्ति हैं। इसे नित्य अनुभव करें

हमारे धर्म शास्त्र कहते हैं कि तु भोजन करता है तब तेरे 32 दांत है हरे राम हरे राम राम

हर पल में हो तुम….हर क्षण में हो तुम…जीवन में प्रतिक्षण तुम हो…कैसे बतलाये जीवन में आधार स्तम्भ हो तुम…जिसके

*अंधे को मंदिर आया देखकर* *लोग हंसकर बोले की,* *मंदिर में दर्शन के लिए आये तो हो* *पर

*भाग्यशाली* *वे नही होते जिन्हें* *सब कुछ अच्छा* *मिलता है* *बल्कि वे होते हैं* *जिन्हें जो मिलता है,* *उसे वो

काह भरोसा देह का,बिनसी जाय छिन मांहि।सांस सांस सुमिरन करोऔर जतन कछु नाहिं॥ काह भरोसा देह का –इस शरीर का