सुविचार 52
प्रातः वंदन,,,,🙏🙏नमःशिवायरिश्तों में विश्वास मौजूद हैं तोमौन भी समझ आ जायेगाऔऱ विश्वास नहीं हैं तो शब्दों से भीगलतफहमी हो जायेंगीजो
प्रातः वंदन,,,,🙏🙏नमःशिवायरिश्तों में विश्वास मौजूद हैं तोमौन भी समझ आ जायेगाऔऱ विश्वास नहीं हैं तो शब्दों से भीगलतफहमी हो जायेंगीजो
हे गोविंद…प्रेम हमेशा ही पूर्ण होता है, प्रेम में कहां अधूरापन बचता है..?इसके मिलन और विरह दोनो ही आयाम हैं।मिलन
हमारा स्वभाव सरल और धनात्मक होगा तो हम कहीं भी जाएं,सुख ही पाएंगे और स्वभाव यदि उग्र या जटिल है
हरे कृष्ण हरिनाम की महिमान नामसदृशं ज्ञानं न नामसदृशं व्रतम्।न नामसदृशं ध्यानं न नामसदृशं फलम्।।न नामसदृशस्त्यागो न नामसदृशः शमः।न नामसदृशं
यदि आप अपने देखने केदृष्टिकोण को बदल ले तोसब अच्छा ही अच्छा नजर आएगाजैसा आप स्वयं होते हैं वैसा ही
एक सन्यासी अपने शिष्यों के साथ गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचा. वहां एक ही परिवार के कुछ लोग
प्रेयसी तो प्रेयसी होती हेचाहे वह पत्नी के रूप में होरुक्मिणी जैसीया प्रेमिका के रूप में होराधा जैसीया फिर भक्ति
परमात्मा कहते हैं :-मेरे लाडले बच्चों,आपको यह जिन्दगी बोझ तब लगती है जब आप हर काम को ये सोच कर
मैं आत्मा हूं यह मैं जानता हूं इस लिए यह अनहोनी नहीं हो सकती कि कोई मुझे मार दे !क्योंकिआत्मा
अपनत्व एक तत्व में द्वेत असंभव चाहे करे कोटि उपाय…. केवल वह बात परम सत्य है, अखंड सत्य है जिसे