Scriptures

प्रभु का तेज 

एक भक्त अंतर्मन से भाव में है  अन्तर्मन से भगवान का सतसंग चल रहा है भक्त भाव मे गहरा चला

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जीवन भीतर है

माओत्से-तुंग ने अपने बचपन की एक छोटी सी घटना लिखी है। लिखा है कि मेरी मां का एक बगीचा था।

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शकुन्तला

                                         एक बार हस्तिनापुर नरेश दुष्यन्त आखेट खेलने वन में गये। जिस वन में वे शिकार के लिये गये

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करमैतीबाई

नश्वर पति रति त्यागि कृष्णपदसों रति जोरी।सबै जगतकी फाँस तरकि तिनुका ज्यों तोरी॥निर्मल कुल काँथड़ा धन्य परसा जेहि जाई।करि वृन्दावन-वास

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