सेंगोल अर्थात दंड धारण कर्ता
पुराण और इतिहास (महाकाव्य इतिहास) पुराण शब्दावली में दंडधारा वैदिक पथिक-✍(शैववाद (शैव दर्शन)शैव धर्म शब्दावली में दंडधारास्रोत :- शोधगंगा: शिव
पुराण और इतिहास (महाकाव्य इतिहास) पुराण शब्दावली में दंडधारा वैदिक पथिक-✍(शैववाद (शैव दर्शन)शैव धर्म शब्दावली में दंडधारास्रोत :- शोधगंगा: शिव
गायत्री मंत्र वेदों में कई बार आता है और उसकी महिमा तो वेद शास्त्रों, आरण्यक और सूत्र ग्रंथों तथा उपनिषद्
जो सूर्य के उदय और अस्तकाल में दोनों संध्याओं के समय इस स्तोत्र के द्वारा भगवान सूर्य की स्तुति करता
।। ॐ सूर्याय नमः ।। श्रीसूर्यमन्त्र-ॐ ह्राँ ह्रीं सः इति त्र्यक्षरं मन्त्रः। ॐ अस्य श्रीसूर्यमन्त्रस्य अज ऋषिः, गायत्री छन्दः, सूर्यो
।। विन्ध्येश्वरी स्तोत्र ।। इस स्तोत्र का नौ दिन ११, २१ या ५१ पाठ पूरी श्रद्धा से करने पर अपार
श्रीरामभक्त हनुमानजी के मंत्र, श्लोक और स्तोत्र जपने से हमेशा भक्तो का उद्धार होता आया है, क्योंकि कालों के काल
राम- वन- गमन और भरत से धिक्कार खाई पाश्चाताप की आग में जलती कैकयी ने अपने को भवन के कक्ष
कई बार मानव अपने जीवन में आ रहे दुःख ओर संकटो से मुक्ति पाने के लिये किसी विशेष मन्त्र का
नाम-जप ही प्रधान साधन……. मन न लगे तो नाम-भगवान् से प्रार्थना करनी चाहिए ‘हे नाम-भगवान् ! तुम दया करो, तुम्हीं
गजाननाय गांगेय सहजाय सर्दात्मने।गौरी प्रियतनूजाय गणेषयास्तु मंगलम।।१।। नागयज्ञोपवीताय नतविध्न विनाशिने।नन्द्यादिगणनाथाय नायाकायास्तु मंगलम।।२।। इभवक्त्राय चंद्रादिवन्दिताय चिदात्मने।ईशान प्रेमपात्राय चेष्टादायास्तु मंगलम।।३।। सुमुखाय सुशुन्डाग्रोक्षिप्तामृत