Scriptures

रामसेतु

मम कृत सेतु जो दरसनु करिही।सो बिनु श्रम भवसागर तरिही।। प्रभु श्रीराम कहते हैं, जो मेरे बनाए सेतु का दर्शन

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श्रीजगन्नाथाष्टकं ।।
(श्रीमत् शंकराचार्य विरचितं

कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलोमुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः।रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदोजगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु

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श्री चतुर्भुज जगन्नाथजी की आरती ।।

चतुर्भुज जगन्नाथ कंठ शोभित कौसतुभः।पद्मनाभ, बेडगरवहस्य, चन्द्र सूरज्या बिलोचनः।। जगन्नाथ, लोकानाथ, निलाद्रिह सो पारो हरि।दीनबंधु, दयासिंधु, कृपालुं च रक्षकः।। कम्बु

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संसारमोहन गणेशकवचम् ।।
(भावार्थ सहित)

विष्णुरुवाचसंसारमोहनस्यास्य कवचस्य प्रजापतिः।ऋषिश्छन्दश्च बृहती देवो लम्बोदरः स्वयम्।।१।। धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्तितः।सर्वेषां कवचानां च सारभूतमिदं मुने।।२।। ॐ गं हुं श्रीगणेशाय स्वाहा मे

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