
सङ्कटनाशन गणेशस्तोत्रम्
नारद उवाचप्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये।।१।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।।२।। लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव

नारद उवाचप्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये।।१।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।।२।। लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव

यह मन्त्र संसार का वशीकरण कर सर्वसिद्धि देने वाला है । मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद

बच्चे के जन्म के बाद छठी पूजन क्यों किया जाता है? भगवान श्रीकृष्ण का छठी पूजन उत्सव कैसे मनाया गया?

प्रभु प्रसाद सूचि सुभग सुबासा।सादर जासु लहइ नित नासा।। तुम्हहि निबेदित भोजन करहीं।प्रभु प्रसाद पट भूषन धरहीं।। सीस नवहिं सुर

आरती रघुवर लाला की, सांवरिंया नैन विशाला की।कमल कर धनुष बाण धारे,सैलोने नैना रतनारे, छवि लख कोटी काम हारे,अलक की

श्रीभगवानुवाच।ऒँ नमो भगवते महा पुरुषायसर्वगुणसङ्ख्यानायानन्तायाव्यक्ताय नम इति।।१।। भजे भवान्या रणपादपङ्कजंभगस्य कृत्स्नस्य परं परायणम।भक्तेष्वलं भावितभूतभावनंभवापहं त्वा भवभावमीश्वरम।।२।। न यस्य मायागुणचितवृत्तिभिर्निरीक्षतो ह्यण्वपि

सचिव सत्य श्रद्धा प्रिय नारी।माधव सरिस मीतु हितकारी।। चारि पदारथ भरा भँडारु।पुन्य प्रदेस देस अति चारु।। छेत्रु अगम गढु गाड़

। स्कंदपुराण, काशीखण्ड तथा शिवमहापुराण रुद्रसंहिता के अनुसार भृगुनन्दन शुक्र ने काशी में शुक्रेश्वर महादेव की स्थापना की। भगवान् विश्वनाथ

।। १- मंत्र-ॐ ऐं हुं चतुर्थ स्वाहा।एक माला मूंगा माला से करें। २- मंत्र-ॐ गणेश ऋणं छिंन्दि वरेण्यं हुं नम:

।। नमो राघवाय ।। आजु सुफल तपु तीरथ त्यागू।आजु सुफल जप जोग बिरागू।। सफल सकल सुभ साधन साजू।राम तुम्हहि अवलोकत