
भरत जी ने दो बात कही
जब श्रीराम जी का राज्याभिषेक हुआ, तब एक दिन श्रीराम ने श्रीभरत जी को उलाहना दिया, “तुम इतने उदार और
जब श्रीराम जी का राज्याभिषेक हुआ, तब एक दिन श्रीराम ने श्रीभरत जी को उलाहना दिया, “तुम इतने उदार और
अयोध्या आगमन के बाद राम ने कई वर्षों तक अयोध्या का राजपाट संभाला और इसके बाद गुरु वशिष्ठ व ब्रह्मा
एक सुपंथ नाम का धर्मात्मा राजा था, एक बार अयोध्या में संत सम्मेलन होने जा रहा था तो संत सम्मेलन
‘अध्यात्म रामायण’ कहती है कि एक रात जब माता कैकेयी सोती हैं तो उनके स्वप्न में विप्र, धेनु, सुर, संत
जाकी रही भावना जैसी।प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी।। श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड की यह चौपाई है। जिसके पास जैसा भाव है,
कहा जाता है कि की जब लंका विजय के लिए नल-नील समुद्र पर सेतु बनाने में लगे थे, तब कई
. एक समय श्रीराम को मुनियों के द्वारा यह समाचार मिलता है कि लंकापति विभीषण द्राविड देश में कैद हैं।
रामायण से एक प्रसङ्ग….लंका में युद्ध अपनी चरम सीमा पर था।श्रीराम की सेना आगे बढ़ती ही जा रही थी और
|| संशय निवारण || निज जननी के एक कुमारा –*मानस का प्रसंग -मानस प्रेमीॐ हिरण्यगर्भ:समवत्तरताग्रे,भूतस्य जातः पतिरेक आसीत् ।। सदाचार
।। नमो राघवाय ।। भगवान श्रीराम जानते थे कि उनकी मृत्यु का समय हो गया है। वह जानते थे कि