श्रीमदभागवतमहापुराण में भगवन्नाम महिमा ( पोस्ट 10 )
श्री हरि: गत पोस्ट से आगे……….. विष्णुदूतों द्वारा भागवतधर्म – निरूपण औरअजामिल का परमधाम गमन बड़े-बड़े ब्रह्मवादी ऋषियों ने पापों
श्री हरि: गत पोस्ट से आगे……….. विष्णुदूतों द्वारा भागवतधर्म – निरूपण औरअजामिल का परमधाम गमन बड़े-बड़े ब्रह्मवादी ऋषियों ने पापों
श्री हरि: – गत पोस्ट से आगे……….. विष्णुदूतों द्वारा भागवतधर्म – निरूपण औरअजामिल का परमधामगमन श्रीशुकदेवजी कहते हैं – परीक्षित
श्री हरि: गत पोस्ट से आगे…निष्पाप पुरुषो ! शूद्र की भुजाओं में अंगरागादि कामोद्दीपक वस्तुएँ लगि हुई थीं और वह
श्री हरि: गत पोस्ट से आगे………..जो जीव अज्ञानवश काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर – इन छ: शत्रुओं पर विजय
श्री हरि: गत पोस्ट से आगे………..इस लोक में जो मनुष्य जिस प्रकार का और जितना अधर्म और धर्म करता है,
श्री हरि: गत पोस्ट से आगे………..श्रीशुकदेवजी कहते हैं – परीक्षित ! जब यमदूतों ने इस प्रकार कहा, तब भगवान् नारायण
श्री हरि: गत पोस्ट से आगे………..वह मूर्ख इसी प्रकार अपना जीवन बिता रहा था कि मृत्यु का समय आ पहुँचा
श्री हरि: गत पोस्ट से आगे………..परीक्षित ! पापी पुरुष की जैसी शुध्दि भगवान् को आत्मसमर्पण करने से और उनके भक्तों
|| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे………..राजा परीक्षित ने पूछा – भगवन ! मनुष्य राजदण्ड, समाजदण्ड आदि लौकिक और
राजा परीक्षित ने कहा – भगवन ! आप पहले (दिव्तीय सकन्ध में) निवृतिमार्ग का वर्णन कर चुके हैं तथा यह