
अपना मान भले टल जाए, भक्त का मान ना टलने देना
This story is very close to my heart एक समय श्री रंगनाथ मंदिर के महंत जो की प्रभु के बहुत

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एक गाँव के बाहर छोटा सा शिव मन्दिर था, जिसमें एक वृद्ध पुजारी रहते थे। एक दिन एक गरीब माँ

सभी देशवासियों कोमहावीर जयंती- २०२३की हार्दिक शुभकामनाएं..! जैसे हर संत के जीवन में देखा जाता है, वैसे महावीर स्वामी के

संत जनाबाई विठ्ठल को कभी अपनी माता, कभी पिता, कभी पुत्र तो कभी सखा मानती थीं अर्थात् मन की स्थिति

एक साधु थे उत्तर प्रदेश में। उनको अनेक लोग मानते थे, बड़े-बड़े राजा महाराजा उनकी सेवा में जाते थे। किसी

जापान में कोई दो सौ वर्ष पहले एक बहुत अद्भुत संन्यासी हुआ। उस संन्यासी की एक ही शिक्षा थी कि

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जो बात युक्ति ( दृष्टांत ) से समझ में आ जाए !उसमें वैदिकमंत्रों की कोई आवश्यकता नहीं होती !!!एक महात्मा

|| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे …………दोनों ही अपने-अपने स्थान पर ठीक हैं | दोनों बातें शास्त्रों में

राम | श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे …………अन्त:करण में, मन में भगवान् का प्रेमस्वरूप इस प्रकार प्रविष्ट हो