
[4]भगवान् से मानसिक
रमण की विशेषता
श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे …भगवान् की सारी क्रियाओं को देखकर उनके भक्त मुग्ध होते थे | यह

श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे …भगवान् की सारी क्रियाओं को देखकर उनके भक्त मुग्ध होते थे | यह

| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे …………जब तक साक्षात परमात्मा की प्राप्ति न हो जाय, तब तक पुस्तकों

गत पोस्ट से आगे …………राम का उपासक है, रकार जिस वस्तु में है उस को याद करते ही मुग्ध हो

९ मार्च, १९३६ सोमवार, सायंकाल के पाँच बजने वाले थे। जगन्नाथपुरी के अपने आश्रम में ८१ वर्षीय स्वामी श्रीयुक्तेश्वर गिरी

।। श्री रामाय नमः ।। योग वशिष्ठ में एक महत्वपूर्ण आख्यायिका आती है, लीला नाम की रानी के पति का

एक सूफी फकीर मरने के करीब थे। रहते तो एक छोटे झोंपड़े में थे। लेकिन एक बड़ा खेत और एक

भक्त भगवान की भक्ति करता है तब मार्ग में उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पङता है। प्रथम मन का

।। नमो राघवाय ।। राजापुर से थोड़ी ही दूर यमुना के उस पार स्थित महेवा घाट की अति सुन्दरी भारद्वाज

स्वामी विवेकानंद रोज की तरह अपने पीतल के लोटे को मांज रहे थे। काफी देर तक लोटा मांजने के बाद

एक गरीब ब्राह्मण अपने खेत में बहुत मेहनत करता था। एक दिन वह थककर एक पेड़ के नीचे आराम कर