आप सुलतान कैसे हुए
बादशाह होनेके पश्चात् एक बार किसीने हसनसे पूछा- ‘आपके पास न तो पर्याप्त धन था और न सेना थी, फिर
बादशाह होनेके पश्चात् एक बार किसीने हसनसे पूछा- ‘आपके पास न तो पर्याप्त धन था और न सेना थी, फिर
विभिन्न धर्म-संस्कृतियोंकी प्रेरक बोधकथाएँ धूर्त बगुला (महामहोपाध्याय प्रो0 श्रीप्रभुनाथजी द्विवेदी) प्राचीन कालमें किसी समय बोधिसत्त्व कमलसे भरे हुए अगाध जलवाले
भावी शुभाशुभके आधारका बोध एक बार हिमालयपर्वतपर विराजमान भगवान् महेश्वरसे देवी पार्वतीने पूछा-भगवन्! आपने बताया कि मनुष्योंकी जो भली-बुरी अवस्था
एक महात्मा राजगुरु थे। वे प्रायः राजमहलमें राजाको उपदेश करने जाया करते। एक दिन वे राजमहलमें गये। वहीं भोजन किया।
आध्यात्मिक पंचतन्त्र मिस्त्रीकी डली एक चींटी नमकके पर्वतपर रहती थी, दूसरी चींटी मिस्रीके पर्वतपर। एक दिन नमकवाली चींटी, मिस्रीवाली चींटीसे
बेटेकी सीख यह उन दिनोंकी बात है, जब न्यायाधीशके रूपमें श्रीमहादेव गोविन्द रानाडेकी ख्याति बढ़ती जा रही थी। कानूनी कार्यवाहीसे
पुण्डरीक नाम के एक बड़े भगवद्भक गृहस्थ ब्राह्मण थे। साथ ही वे बड़े धर्मात्मा, सदाचारी, तपस्वी तथा कर्मकाण्डनिपुण थे वे
एक मुंशीजी थे। वे थे तो बड़े अच्छे ओहदेपर, पर थे पुराने पियक्कड़ शराबसे जो हानि होती है वह तो
महाराज विक्रमादित्य प्रजाके कोंका पता लगानेके लिये प्रायः अकेले घूमा करते थे। एक बार वे घोड़ेपर चढ़कर एक वनमेंसे जा
फ्रांसकी विशाल सेनाने स्पेनके जारगोजा नगरको घेर लिया। नागरिकोंने प्राणरक्षाका कोई उपाय न देखकर किलेमें एकत्र होना उचित समझा। आक्रमणकारियोंने