
धन्य कौन
एक बार भगवान् श्रीकृष्ण हस्तिनापुरके दुर्योधनके। यज्ञसे निवृत्त होकर द्वारका लौटे थे। यदुकुलकी लक्ष्मी उस समय ऐन्द्री लक्ष्मीको भी मात

एक बार भगवान् श्रीकृष्ण हस्तिनापुरके दुर्योधनके। यज्ञसे निवृत्त होकर द्वारका लौटे थे। यदुकुलकी लक्ष्मी उस समय ऐन्द्री लक्ष्मीको भी मात

ध्यानयोगसे बढ़कर दूसरा कोई उत्तम सुखका साधन नहीं पहलेकी बात है, अलर्क नामसे प्रसिद्ध एक राजर्षि थे, जो बड़े ही

निष्काम सेवा एक बार प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीनने एक कुम्हारकी देखा, जो बहुत सुन्दर मिट्टीके बरतन बना रहा था। आइंस्टीनको उसके

अटल मृत्युसे भय कैसा !! एक छोटा-सा गाँव था। उसमें एक ब्राह्मण कुटुम्ब रहता था। ब्राह्मण अत्यन्त दरिद्र था। दिनभर

प्रार्थना ‘आत्माका भोजन’ प्रार्थना-सभाके बाद एक वकीलने महात्मा गाँधीसे ‘आप प्रार्थनामें जितना समय व्यतीत करते हैं, पूछा, अगर उतना ही

द्रोणाचार्य पाण्डव एवं कौरव राजकुमारोंको अस्त्र शिक्षा दे रहे थे। बीच-बीचमें आचार्य अपने शिष्योंके हस्तलाघव, लक्ष्यवेध, शस्त्र – चालनकी परीक्षा

प्राचीन अरबनिवासियोंमें हातिम ताईका नाम अत्यन्त प्रसिद्ध है। वह अपनी अमित दातृत्व-शक्ति किंवा सतत दानशीलताके लिये बड़ा विख्यात था। एक

दिल्लीमें अनेक प्रसिद्ध लाला हुए; परंतु जो लालाई लाला महेशदासको नसीब हुई, उसका शतांश भी और किसीके हिस्सेमें नहीं आया।

पहले गौडदेशमें वीरभद्र नामका एक अत्यन्त प्रसिद्ध राजा राज्य करता था। वह बड़ा प्रतापी, विद्वान् तथा धर्मात्मा था। उसकी पत्नीका

(4) अनन्त इच्छाएँ ही ईशकृपामें बाधक एक फकीरके पास एक नौजवान शागिर्द (शिष्य) बननेके ख्यालसे उपस्थित हुआ। फकीर उसके साथ