सफलताके लिये श्रद्धाके साथ श्रम भी चाहिये
एक ग्रामीण बैलगाड़ी लिये कहीं जा रहा था। एक नालेके कीचड़में उसकी गाड़ीके पहिये धँस गये। ग्रामीण बैलगाड़ीसे उतर पड़ा
एक ग्रामीण बैलगाड़ी लिये कहीं जा रहा था। एक नालेके कीचड़में उसकी गाड़ीके पहिये धँस गये। ग्रामीण बैलगाड़ीसे उतर पड़ा
महात्मा ईसामसीहके सम्मुख एक नारी पकड़कर से आयी गयी थी। नगरके लोगोंकी भीड़ उसे घेरे हुए थी। लोग अत्यन्त उत्तेजित
उन्नीसवीं शताब्दीके दूसरे चरणके कुछ साल बाद हो अंग्रेजी और तुर्की सेना तथा रूसी सेनामें कालेसागर के तटपर युद्ध आरम्भ
अहंकार किसी समयकी बात है, रामनगरमें एक वृद्ध भिखारी रहता था। वह सड़कके किनारे बैठकर भीख माँगता था। उसका स्थान
‘केहि कर हृदय क्रोध नहिं दाहा’ व्याकरणशास्त्र के शिरोमणि आचार्य महर्षि पाणिनि देवी दाक्षीके पुत्र एवं आचार्य उपवर्षके शिष्य थे।
हाँ, मेरे पास 40 अशर्फियाँ हैं ! बात है कोई 900 साल पुरानी । ईरान देशमें एक स्थान है जीलान।
भीमका महावीर राक्षसपुत्र घटोत्कच मारा गया। पाण्डवशिविरमें शोक छाया है, सबकी आँखोंसे आँसू वह रहे हैं; केवल श्रीकृष्ण प्रसन्न हैं।
खेतड़ीके महाराजके साथ भेंट एक निरभिमानी जीवन एक और चित्ताकर्षक घटना तब घटी, जब विवेकानन्द खेतड़ीके महाराजके यहाँ रुके हुए
एक ब्राह्मणने अपने आठ वर्षके पुत्रको एक महात्मा के पास ले जाकर उनसे कहा-‘महाराजजी ! यह लड़का रोज चार पैसेका
कुरुक्षेत्रके मैदानमें कौरव पाण्डव दोनों दल युद्धके लिये एकत्र हो गये थे। सेनाओंने व्यूह बना लिये थे वीरोंके धनुष चढ़