
प्रबल वैरीपर विश्वास करनेका दुष्परिणाम
प्रबल वैरीपर विश्वास करनेका दुष्परिणाम कुसुमपुर (पटना) में नन्द नामका राजा था। उसके मन्त्रीका नाम शकटार था। किसी कारणवश मन्त्री
प्रबल वैरीपर विश्वास करनेका दुष्परिणाम कुसुमपुर (पटना) में नन्द नामका राजा था। उसके मन्त्रीका नाम शकटार था। किसी कारणवश मन्त्री
2- यह सच या वह सच राजा जनक अपने महलमें पलंगपर सोये थे । उनको एक सपना दीख पड़ा कि
एक विद्वान् ब्राह्मण एक धर्मात्मा नरेशके यहाँ पहुँचे। उनका सत्कार हुआ। ब्राह्मणने कहा- ‘राजन् ! आपकी इच्छा हो तो मैं
भगवान् बुद्धके जीवनकी घटना है। तथागत छप्पन सालके थे। अभीतक अपनी परिचर्याके लिये किसी उपस्थाक (परिचारक) – की नियुक्तिकी आज्ञा
वृन्दावनके पास एक ब्राह्मण रहता था। एक समय ऐसा आया कि उसके सभी घरवालों की मृत्यु हो गया। केवल वही
भगवान् बुद्धके पहले जन्मकी बात है। उस समय वे बोधिसत्त्व अवस्थामें थे। उन्होंने एक समृद्ध घरमें जन्म लिया था। अपनी
मिरजका अधिकारी दिलेलखान रातमें गश्त लगाता जयराम स्वामीके कीर्तनमें पहुँचा। स्वामीने कहा- ‘साधुके रास्तेसे जानेपर तत्काल रामका दर्शन मिलता है।’
भक्त नीलन्-तिरुमंगैयाळवार भगवान् के दास्यभावके उपासक थे। ये वाणविद्यामें अत्यन्त कुशल और योद्धा थे चोदेशके राजाने इनकी वीरतासे प्रभावित होकर
शिक्षक होनेका अर्थ एक छोटेसे शहरके एक प्राथमिक स्कूलमें कक्षा पाँचकी एक शिक्षिका थीं। उनकी एक आदत थी कि वह
‘मृत्यु क्या कर सकती है ? मैंने मृत्युञ्जय शिवकी शरण ली है।’ श्वेतमुनिने पर्वतकी निर्जन कन्दरामें आत्मविश्वासका प्रकाश फैलाया। चारों