प्रेम आपका अस्तित्व है।
प्रेम कोई भावना नहीं है, हर व्यक्त्ति के परे प्रेम है। व्यक्त्तित्व बदलता है। शरीर, मन और व्यवहार हमेशा बदलते
प्रेम कोई भावना नहीं है, हर व्यक्त्ति के परे प्रेम है। व्यक्त्तित्व बदलता है। शरीर, मन और व्यवहार हमेशा बदलते
जिसमें वैराग्य नहीं वह साधक कैसा
जब बालक जन्मता है, तब वह माँ-बाप, भाई-बहन आदि किसीको भी नहीं पहचानता । उसका किसीके साथ भी सम्बन्ध नहीं
भक्त मोरया गोस्वामी कर्नाटक के एक छोटे से गांव से थे, वे गणेश जी के परम भक्त थे, हर जीव
वैदिक पथिक-गोस्वामी तुलसीदासजी ने एक बड़ीगूढ़ बात कही है – रवि पंचक जाके नहीं, ताहि चतुर्थी नाहिं।तेहि सप्तक घेरे रहे,
वृन्दावन में श्रीकृष्ण का एक ऐसा मंदिर है जो अपने आप ही खुलता और बंद हो जाता है। यह भी
आप में केवल भगवत्प्राप्ति की तङफ हो जाय। वह तङफ ऐसी हो, जिसकी कभी विस्मृति न हो। तात्पर्य है कि
श्रावण मास में भगवान शिव को नमन करते हुए उनकी छटा के दर्शन करें। शिवजी का वाहन नंदी है, वृषभ
ॐ आध्यात्मिक दर्शन ॐॐ मैं और ज्ञाता ॐॐ इस मैं की खोज ॐज्ञाता:- पुनः पूछता है।हे मैं तुम कौन हो।मैं:-
मैं भगवान् नहीं भगवान् का भक्त बनना चाहता हूँ , क्योंकि भगवान् स्वयं से भी उतना प्रेम नहीं करते जितने
परोपकारी व्यक्ति सदा दूसरों के प्रति करुणा का भाव रखते हैं और उनकी ख़ुशी और उनके सुख में अपना सुख