
विपत्तिका मित्र
छः-सात वर्षकी बात है। दिल्लीमें एक टाँगेपर बैठा जा रहा था। टाँगा चलानेवाला अपने कार्यमें विशेष दक्ष प्रतीत नहीं होता

छः-सात वर्षकी बात है। दिल्लीमें एक टाँगेपर बैठा जा रहा था। टाँगा चलानेवाला अपने कार्यमें विशेष दक्ष प्रतीत नहीं होता

गर्ग गोत्र में उत्पन्न बलाकाके पुत्र बालाकि नामके एक प्रसिद्ध ब्राह्मण थे। उन्होंने सम्पूर्ण वेदोंका अध्ययन तो किया ही था,

रास्ता यह है एक आदमी बहुत परेशान था। बीमारियोंने उसके शरीरको घेर रखा था, पर वह उनका इलाज कैसे कराता;

महर्षि दुर्वासा अपने क्रोधके लिये तीनों लोकमें विख्यात हैं। एक बार वे चीर धारण किये, जटा बढ़ाये, बिल्वदण्ड लिये तीनों

बंगालके प्रसिद्ध विद्वान् श्रीविश्वनाथ शास्त्री एक बार दूसरे विद्वानोंसे शास्त्रार्थ कर रहे थे। जब विपक्षके विद्वान् शास्त्रार्थमें हारने लगे, तब

एक नया संकल्प लंदनके वालवर्ध उपनगरके अधिकांश निवासी निर्धन और अशिक्षित थे। यह अपराधियोंकी बस्ती जानी जाती थी। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयमें

पहले समयकी बात है। सिंधु देशकी पल्लीनगरीमें कल्याण नामका एक धनी सेठ रहता था। उसकी पत्नीका नाम इन्दुमती था। विवाह

(7)अपनेको बड़ा न समझें रामकृष्ण परमहंसके दो शिष्य इस बातपर झगड़ा करने लगे कि उनमें कौन बड़ा है ? झगड़ा

किसी वृक्षपर एक उल्लू बैठा हुआ था। अचानक एक हंस उड़ता हुआ उस वृक्षपर आ बैठा। हंस स्वाभाविक रूपमें बोला-‘उफ्!

एक बार एक तंग रास्तेपर काशिराज और कोसलराज दोनोंके ही रथ आमने-सामने आ गये। अब बिना रास्तेसे एक ओर हटे