🙏हिचकियाँ🙏
वृन्दावन में बिहारी जी की अनन्य भक्त थी । नाम था कांता बाई… बिहारी जी को अपना लाला कहा करती
वृन्दावन में बिहारी जी की अनन्य भक्त थी । नाम था कांता बाई… बिहारी जी को अपना लाला कहा करती
हरि बोल हरि बोल नदी पर कपड़े धोते हुए धोबी ने कहा, बाबा आगे जाओ हरि बोल हरि बोल बाबा
गणिका थीं श्रीवारमुखीजी। लोक और वेद-दोनोंसे गर्हित था उनका कर्म परंतु प्रभुकी कृप किसपर हो जाय, कब किसके किस जन्मका
जब कभी एक बार भी बिना निमित्त के तुम अपने से जुड़ जाते हो, तो घटना घट गई। कुंजी मिल
आपकी बातें अनेकों को अप्रिय क्यों लगती हैं? सुननेवाले पर निर्भर है। तुम अगर सच में ही सत्य की खोज
.एक बार अवंतिपुर में साधु कोटिकर्ण आए। उन दिनों उनके नाम की धूम थी।.उनका सत्संग पाने दूर-दूर से लोग आते
एक जंगल में एक संत अपनी कुटिया में रहते थे। एक किरात (शिकारी), जब भी वहाँ से निकलता संत को
.5 साल का बच्चा :- माँ प्यार और लव मैं क्या फर्क है।.माँ:- मैँ तुम से जो करती हूँ वो
. श्रीहितकिशोरीशरण बाबाजी (सूरदास बाबा)(वृन्दावन) ‘भैया ! मेरे मन में ऐसी आवे कि विश्व को कुत्ता हू दुःखी न होय,
राधा जी की कृपा चन्दन वृंदावन की ब्रज भूमि में रहने वाला अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा था। दिन भर