
तत्त्वज्ञान
आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी- इन पाँच महाभूतों को ही पंचतत्त्व कहते हैं, इन्हीं पंचतत्वों के गुण रूप इस

आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी- इन पाँच महाभूतों को ही पंचतत्त्व कहते हैं, इन्हीं पंचतत्वों के गुण रूप इस

रास मध्य ललिता जु प्रार्थना जु कीनी।कर ते सुकुमारी प्यारी वंशी तब दिनी।। एक समय जब नित्य रास परायण श्री

समर्थ रामदास ( छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु )का अम्बादास नाम का एक शिष्य था ।उसकी भक्ति और सेवा भाव

यशोदा जी गोपी से पूछती है -कन्हैया तेरे यहाँ चोरी करने आता है उसकी खबर तुझे होती है?गोपी कहती है-

🙏 तीनो लोको के स्वामी सुधबुद्ध खोकर दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या,

।। श्रीहरि: ।। आहुः शरीरं रथमिन्द्रियाणिहयानभीषून् मन इन्द्रियेशम्।वर्त्मानि मात्रा धिषणां च सूतंसत्त्वं बृहद् बन्धुरमीश सृष्टम्।। अक्षं दश प्राणमधर्म धर्मौचक्रेऽभिमानं रथिनं

किसी नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वह ग्वालिन थी उसके चार पुत्र और एक पुत्री थी। एक समय नगर

।। जय श्री महाकालेश्वर ।। गोदावरी के पावन तट पे “श्वेत” नामक एक ब्राह्मण रहते थे। जो शिवजी के अनन्य

एक बहुत बड़ा मंदिर था। उसमें हजारों यात्री दर्शन करने आते थे। सहसा मंदिर का प्रबंधक प्रधान पुजारी मर गया।

कभी सोचा है भगवान कृष्ण का स्वरूप हमें क्या सिखाता है। क्यों भगवान जंगल में पेड़ के नीचे खड़े बांसुरी