“रसोपासना” )🙏
भाग-51
आज के विचार सायंकाल का समय हो गया था…सूर्य अस्त हो रहे थे । मन में आया बहुत दिन हो
आज के विचार सायंकाल का समय हो गया था…सूर्य अस्त हो रहे थे । मन में आया बहुत दिन हो
आज के विचार ( निकुञ्ज में ब्याहुला…) हमारे शास्त्र कहते हैं – देह भी अनेक प्रकार के होते हैं…जो हमें
श्रीकृष्ण “आत्माराम” कहे जाते हैं…वेदों ने ये नाम श्रीकृष्ण को दिया है । यानि जो अपनी आत्मा में ही रमण
🙏( दूलह दुलहिन की दिव्य झाँकी…) अब चलो सखी ! इन नवल दूलह दुलहिनि को लेकर चलो… रंगदेवी सखी ने
ब्याह मण्डप की झाँकी… 🙏”दोउ लालन ब्याह लड़ावौ री, छबि निरखत नैंन सिरावौ री !! सुख आसन पर पधरावौ री
आज के विचार 🙏( शरदोत्सव – रस लीला )🙏!! !! ये भाव सेवा है…भाव से ही साधक को सबकुछ करना
आज के विचार 🙏(“निकुञ्ज” – प्रेम महासागर )🙏 साधकों ! मेरा ये सब लिखने का एक ही उद्देश्य है कि…
आज के विचार 🙏( “रसाद्वैत” – दो एकही भये )🙏!! 🙏अब दोनों एक होंगे…अब श्रृंगार रस की बाढ़ में पूरा
(तू मेरी “हरिप्रिया” है – गवाक्ष से…) ( साधकों ! मैं पूर्ण स्वस्थ हूँ… कुटिया में आगया हूँ ) अरी
आज के विचार 🙏( प्रेम देश की अटपटी बातें…)🙏!! 🙏आपको पता है !… जिस पीताम्बरी को श्याम सुन्दर ओढ़ते हैं…वो