रसोपासना

रसोपासना – भाग-32

( सहेली ! सुनो रस की बात..) 🙏श्रीराधारानी का मुखमण्डल अनन्त अनन्त शोभा निधान है । काले-काले घुँघराले, स्निग्ध घनें,

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रसोपासना – भाग-27

(करुणामयी “श्रीप्रियाजु”) वेदान्त कहता है – दृष्टा बनो, भोक्ता मत बनो… स्वयं भोगने की वासना से मुक्त हो जाओ ।

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रसोपासना – भाग-30 !!

आज के विचार 🙏( निकुञ्ज में “बरसा ऋतु” )🙏 🙏ध्यान परायण “रसलोभी” साधक ऐसे ध्यान करें – “परम सुन्दर श्रीधाम

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रसोपासना – भाग-29

🙏( सखी ! फूलन की फुलवारी…)🙏!! !! दुःख और विषाद तो तुम्हारे “मोह के देश” में देखने को मिलते हैं…

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रसोपासना – भाग-38

( निकुञ्ज की “अकथ कथा” ) 🙏इस निकुञ्ज विलास का कोई अंत नही है…अनन्त काल से चल रही है…प्रतिपल नवला

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रसोपासना – भाग-21

🙏( निकुञ्ज का अद्भुत फागोत्सव…)🙏 ये रसोपासना समस्त उपासना से ऊँची वस्तु है… निरन्तर “निकुञ्ज लीला” के चिन्तन की यह

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रसोपासना – भाग-37

“चौसर खेल” – प्रेम प्रसंग 🙏ईश्वर के साथ सखा भाव की चर्चा तो उपनिषद् करती हैं…”द्वा सुपर्णा सयुजा”(मुण्डकोपनिषद्)… इत्यादि… हाँ

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रसोपासना – भाग-36

आज के विचार 🙏( निकुञ्ज की दीपावली… )🙏 🙏श्रीकृष्ण “आत्माराम” कहे जाते हैं…वेदों ने ये नाम श्रीकृष्ण को दिया है

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रसोपासना – भाग-35

“सन्ध्या आरती” की दिव्य झाँकी… “प्रेम” केवल एक शब्द का यह कैसा वृहत् ग्रन्थ है….एक ही आँसू का कैसा विशाल

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रसोपासना – भाग-24

🙏(सर्वोत्कृष्ट प्रेमकेलि -“सुरत सुख”) 🙏भीग गए हैं सखी ! ये युगल, बरसा में…. और देख तो, कैसे काँप रहे हैं…चलो

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